"मील का पत्थर"
मैं रास्ते में पड़ा पत्थर हूँ
निगाहों में आपकी बद्त्तर हूँ
न देख मुझको,तू नफ़रत से
देखता हूँ, सब को, इस हसरत से
न मार मुझको ठोकर तू
हो न जाये कहीं चोटल तू
प्यार से मुझको उठा तू
किनारे पे रख,के जा तू
खुद को ठोकर से बचा तू
दूसरों के लिये रास्ता बना तू
खुद भी बच,और मुझको बचा तू
दिल का सुकून भी पायेगा तू
जो गै़र की ठोकर से
मुझ को बचायेगा तू
फिर मैं भी "मील का
पत्थर" बन जाऊंगा
सब के लिये निशानी
बन के काम आऊंगा
किसी भटके मुसाफिर को